REET / RTET EVS (पर्यावरण) Level-1 प्राइमरी 2025
परिवार (Family)इकाई - 1
परिवार का परिचय :-
• परिवार शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द Famulus (फैमुलस) से हुई है जिसका अर्थ होता है नौकर या समूह
परिवार का अर्थ
• वह स्थान, जहाँ पर दो या दो से अधिक भिन्न-भिन्न लिंगीय स्वभाव के व्यक्तियों का निवास होता है, उसे परिवार कहते हैं।
परिवार की परिभाषाएँ :-
1. आगस्टे काम्टे :- “परिवार एक समाज आधारभूत इकाई है।”
2. प्लेटो :- “परिवार, बालक की प्रथम पाठशाला है।”
३. सी. एच. कूले :- “परिवार एक प्राथमिक समूह है जिसे मानव स्वभाव अथवा प्रकृति की नर्सरी / पोषक गृह कहा जाता है।”
परिवार की विशेषता
* समाज की आधारभूत इकाई
* बालक की प्रथम पाठशाला।
* समान आवास, समान भोजन एवं सामाजिक क्रियाओं का साथ-साथ उपयोग [REET-2017]
* सभी सदस्यों की आय एक साथ जमा होना।
* बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेदारी माता-पिता/संरक्षक की हो
* विवाह के उपरान्त परिवार का निर्माण ।
* रक्त संबंधों का होना अनिवार्य नहीं।
* बच्चों के बीच अपनत्व का भाव होना।
परिवार के प्रकार
• परिवार को आकार की दृष्टि से दो भागों में विभक्त किया जाता है:-
1. एकल परिवार :- ऐसा परिवार जिसमे माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे रहते है, एकल परिवार कहलाता है।
2. संयुक्त परिवार :- ऐसा परिवार जिसमें पति-पत्नी और उनकी विवहित संताने निवास करती है, संयुक्त परिवार कहलाता है।
परिवारों का विघटन
• स्वतंत्र रहने की इच्छा
• उच्च शिक्षा का होना
• निर्धनता / बेरोजगारी का होना
• परिवार की आर्थिक स्थिति का निम्न होना
आपसी सम्बन्ध
• चाचा - चाची
• मामा - मामी
• दादा - दादी
• बुआ - फूफा
परिवार का महत्व
प्रारम्भिक एवं मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति परिवार में ही होती है। परिवार में बालक के व्यक्तित्व एवं चरित्र की नींव पड़ती है परिवार के मह्त्व को समाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक दृष्टि से स्पष्ट किया जा सकता है
1. सामाजिक महत्व
परिवार में ही रहकर व्यक्ति समाजीकरण की प्रक्रिया के फलस्वरूप पशु स्तर से मानव में प्रवेश करता है। परिवार में रहकर ही व्यक्ति समाज के तौर-तरीके, मान्यताओं, आदर्शों, परम्पराओं, सामाजिक मूल्यों एवं उत्तरदायित्वों का ज्ञान प्राप्त करता है। परिवार ही व्यक्ति को समाज के अनुरूप बनाता है।
2. आर्थिक महत्व
आर्थिक दृष्टि से भी परिवार का महत्व कम नहीं है। मनुष्य की समस्त आर्थिक रूप से व्यक्ति को परिवार पर ही निर्भर रहना पड़ता है, परन्तु धीरे-धीरे परिवार के प्रयत्नों, साधनों एवं सहयोग द्वारा वह आत्मनिर्भर एवं स्वावलम्बी बनता है।
3. शैक्षिक महत्व
परिवार को एक शिक्षा –संस्था के रूप में स्वीकार किया जाता है। परिवार समाज का लघुरूप एवं बालक की प्रथम पाठशाला है और माँ उसकी प्रथम आदर्श शिक्षिका है। परिवार ही वह स्थान है जहाँ बालक को सभी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त होती हैं। परिवार में ही उसके शारीरिकस मानसिक, संवेगात्मकस सांस्कृतिक एवं नैतिक विकास की रूपरैखा तैयार होती है और उसके भावी जीवन की नींव पड़ती है। बालक के जीवन में शिक्षा का सर्वोपरि स्थान है।
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𝗡𝗼𝘁𝗲:- ᴏᴛʜᴇʀ ꜱᴛᴀᴛᴇ फॉर्म भर सकते ✓
Note:- राजस्थान में CTET वैलिड नही है ✓
• जो रीट परीक्षा पास कर लेगा वही राजस्थान की शिक्षक भर्ती में सामिल हो सकता है
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